यदि आप वीजा, मास्टर कार्ड और अमेरिकन एक्सप्रेस का डेबिट या क्रेडिट ATM का इस्तेमाल करते हैं तो हो सकता है 15 अक्टूबर के बाद काम करना बंद कर दें । जी हां, इसका कारण है RBI का नियम । असल में RBI यूजर्स का डाटा विशेष रूप से भारत में ही स्टोर करने को अनिवार्य बनाया जा रहा है । पर वीजा और मास्टरकार्ड समेत 16 पेमेंट कंपनियां ने इस नियम को मानने से इंकार कर दिया कि लोकल डाटा स्टोरेज से उनका लागत खर्च काफी बढ़ जाएगा ।
सरकार ने बनाई समिति
सेवानिवृत न्यायाधीश बीएन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिश पर सरकार ने निजी डाटा सुरक्षा विधेयक के मसौदे पर जन-सुझाव मांगा । सुझाव देने की आखिरी तारीख पहले 10 सितंबर तय की गई थी, जिसे बढ़ाकर 30 सितंबर 2018 कर दिया गया ।
इन कंपनियों ने RBI के नियम को माना
RBI ने हर पेमेंट कंपनी का पेमेंट सिस्टम से जुड़े डाटा का लोकल स्टोरेज अनिवार्य कर दिया है, जिसका पालन 16 अक्टूबर से करना होगा । भारत में ऐसी 78 पेमेंट कंपनियां काम कर रही हैं, जिनमें 62 ने आरबीआई के नियम को मान लिया है । इनमें अमेजन, व्हाट्सएप और अलीबाबा जैसी ई कॉमर्स कंपनियां भी शामिल हैं ।
उनका कहना है कि भारत में डाटा स्टोरेज सिस्टम से न सिर्फ लागत खर्च बढ़ेगा बल्कि डाटा की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े होंगे । इन कंपनियों ने RBI से इस समय सीमा को और बढ़ाने की मांग की है ।
BIF के अनुसार, डाटा लोकलाइजेशन से लागत का बोझ बढ़ जाएगा, जिससे अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है. विचार मंच ने कहा, 'BIF सरकार से डाटा सुरक्षा के अंतिम विधेयक में ज्यादा उदारता का रुख दर्शाने पर विचार करने की मांग करता है ।'
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